शिवपुरी| बागवानी में एकीकृत विकास मिशन अंतर्गत मसाला फसलों में तकनीकी हस्तांतरण-कृषक प्रशिक्षण सह संगोष्ठी 28 फरवरी को कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी पर आयोजन किया गया।
शिवपुरी जिले में फसल विविधता में मसाला फसलों की उपयोगिता, महत्व एवं उन्नत कृषि तकनीकियों के प्रसार के लिए लाभकारी फसलों अजवाइन, कलौंजी, धनिया, हल्दी, अदरक, प्याज, लहसुन की उत्पादन तकनीक एवं बीजोत्पादन के बारे में केन्द्रित करते हुए कृषक प्रशिक्षण सह संगोष्ठी में उपस्थित कृषकों को जानकारी दी गई।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ.पुनीत कुमार द्वारा जिले में मसाला फसलों की स्थिति एवं उत्पादन की संभावनाएं के बारे में जानकारी दी गई। इसी क्रम में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एम.के.भार्गव द्वारा अजवाइन एवं कलौंजी की विपुल उत्पादन तकनीक के साथ प्याज बीजोत्पादन के बारे में बतलाते हुए लाभकारी फसल चक्रों में उन्नत वैज्ञानिक तकनीकियों को प्रचलन में लाते हुए फसलोत्पादन में मसाला फसलों को उचित फसल चक्रों जैसे अजवाइन-गेहूं, सोयाबीन-कलौंजी, सोयाबीन-धनिया, मूंगफली-धनियां इत्यादि लेने के लिए परामर्श दिये गये तथा फल वृक्षों के साथ कृषिवानिकी पद्धति के रूप में हल्दी, अदरक जैसी फसलों के साथ कृषि उद्यानिकी पद्धति के द्वारा उत्पादन लेने से भूमि के उचित उपयोग एवं कुल मुनाफा अधिक लिए जाने के लिए भी प्रेरित किया गया।
डॉ.शैलेन्द्र सिंह कुशवाह वरिष्ठ वैज्ञानिक सस्य विज्ञान ने धनिया उत्पादन एवं मसाला फसलों में खरपतवार नियंत्रण के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाते हुए खरपतवारों से होने वाली क्षति जो 35-40 प्रतिशत तक हो जाती है उसे रोकने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
मसाला फसलों की उन्नत प्रजातियों जैसे अजवाइन में अजमेर अजवाइन 1, 2, 93 एवं कलौंजी में एन.एस. 44, 48,1 कालाजीरा, धनिया में ए.सी.आर. 2, ए.सी.आर. 1, 41, गुजरात धनिया 1 के बीजोत्पादन तकनीक के बारे में कृषकों को समझाते हुए व्यावहारिक बातों से अवगत कराया तथा मसाला फसलों के साथ अतिरिक्त आय के लिए तथा परागण के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने में सहयोगी मधुमक्खी पालन करने के बारे में वैज्ञानिक पहलुओं से अवगत कराया।
मसाला फसलों में रोग-कीटों के समन्वित प्रबंधन उपायों के बारे में बीजोपचार तथा गंधक के प्रयोग इत्यादि के बारे में जे. सी. गुप्ता वैज्ञानिक (पौध सुरक्षा) एवं मसाला फसलों में कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी एवं संसाधन प्रक्रिया के बारे में डॉ.ए.एल.बसेड़िया (कृषि अभियांत्रिकी) ने जानकारी दी।
मसाला फसलों के विपणन एवं भण्डारण के बारे में योगेश चन्द्र रिखाड़ी वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने विस्तार से जानकारी दी तथा सफल मसाला उत्पादन कृषकों एवं समूहों के द्वारा सफलताओं की चर्चा कराते हुए कृषकों ने अपने अनुभव साझा किए
जिसमें ग्राम मोहराई विकासखण्ड कोलारस के कृषक हरनाम सिंह जाटव ने मसाला उत्पादन एवं प्रसंस्करण के बारे में अपनी सफलता बतलाते हुए अन्य कृषकों को भी फसल विविधता एवं मसाला फसलों के योगदान पर जानकारी दी।
कृषक प्रशिक्षण के तकनीकी हस्तांतरण कार्यक्रम में विभिन्न विकासखण्डों से आये कृषकों एवं महिला कृषकों के साथ 125 से अधिक कृषकों की एवं संबंधित विभाग के शासकीय सेवकों की सहभागिता रही। कार्यक्रम के अंत में कृषि विज्ञान केन्द्र पर फसल संग्रहालय एवं तकनीकी इकाइयों का भ्रमण भी कराया गया तथा परीक्षणों के परिणामों से अवगत कराया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में कृषि विज्ञान केन्द्र के समस्त स्टॉफ के साथ प्रमुख रूप से सतेन्द्र गुप्ता कार्यालय अधीक्षक सह लेखापाल, कनिष्ठ शीघ्रलेखक सह कम्प्यूटर ऑपरेटर आरती बंसल, शोध सहायक विजय प्रताप सिंह, वीर नारायण राणा एवं इन्द्रजीत गढ़वाल की भी भूमिका रहीं।