*👉हुकुम सुनिए जरा,पत्थर,बोल्डर माफियाओं ने उजाड़ी नर्सरी की दीबार ,....! बड़े पैमाने पर दीबार चोरी....!-(बृजेश तोमर)

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✒ *#लावारिस_शहर -33*✒
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*👉हुकुम सुनिए जरा,पत्थर,बोल्डर माफियाओं ने उजाड़ी नर्सरी की दीबार ,....!*
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✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻  *(✒बृजेश तोमर✒)*✍🏻
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*👉मानसून आने बाला है और सरकारी कागजो में हर साल की तरह कागजो पर लाखों पेड़ लगाने की नोटंकी शुरू हो चुकी है....
उधर खंडा-बोल्डर माफियाओं ने  शहरी सीमा में स्थित करबला-बाजाघर रोड के चारो तरफ मौजूद नर्सरी उजाड़ डाली ,ओर सरकारी तंत्र को भनक भी न हो सकी...!
🌳हुकुम,इन माफियाओं ने कई किलोमीटर क्षेत्र में बनी इस नर्सरी की खंडों की बाउंड्री टेक्टरों में भरकर बेच डाली और बाजाघर सहित अन्य अवशेषों पर भी प्रयास जारी है।
🌳इस नर्सरी के भीतर लाखो पौधे पेड़ बन चुके थे जो अब फिर हर साल की तरह काट डाले जायेगे।
हुकुम,हम जैसे तमाम पर्यावरण प्रेमियों ने यहाँ बीजो से हजारों पौधे उपजाए,कटाई रोकने के निरन्तर प्रयास किये लेकिन अब तो बागड़ ही चोरी हो गयी तो खेत का क्या..? इस सम्पूर्ण हरियाली का विनाश तय है....!!
माई-बाप,पेड़ लगाने की नोटंकी भले कम कर दो लेकिन लगे हुये पेड़ो को बचाने की कबायत अगर ईमानदारी से हो जाये तो आपकी मेहरबानी होगी..!वैसे भी हमारे इस गांव(शिबपुरी)में हर साल कागजी आकड़ो में पेड़ लाखो लगते है,लेकिन बचते सिर्फ सेकड़ो है ...??
हर साल खूब पौधों के ऊपर पौधे बार बार रोप दिए जाते है  जिन्हें बड़ा होना ही नही है लेकिन बड़े पेड़ो की कटाई प्रतिदिन बड़े पैमाने पर जारी है जिसे रोकना जरूरी है..!
हुजूर,शहर की"आरामशीने"दिन रात हरे पेड़ो का चीरहरण करने में जुटी है और हुक्मरान चुप्पी साधे है...!
बिगड़ते पर्यावरण को साधने जहाँ शहरवासी उठ खड़े हुये है वही सरकारी तंत्र निंद्रा में है..!
कुछ कीजिये हुकुम..
आपके वर्तमान प्रयासों पर हम साधुवाद देते है लेकिन "हरित क्रांति"मसले पर आपकी नजर जरूरी है सो गुहार लगाते है साहेब,नजर डाल लो जी...!!
शेष शुभ,हम सब साथ है...!
"राम-राम पहुचे जी...!!
*खुदा खैर करे...!!!*
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✒ *नाचीज- बृजेश सिंह तोमर*✒
(वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरण चिंतक)
*सम्पादक-www.khabaraajkalnews. com*
*प्रमुख सेवादार-मदद बैंक फाउंडेशन*
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*नोट- नाचीज कलमकार इस महत्वपूर्ण मसले पर कड़ी कार्यवाही की दरकार रखता है।माफिया इस नर्सरी को उजाड़ने का ताना-बाना रचे है सो निगहबानी जरूरी है हुकुम..!
*🌲सांसे हो रही कम,आओ पौधे बचाये हम..."🌲*
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